नमस्कार ! हालाँकि हमारे देश से राजाओं रजवाड़ों का खात्मा हुए एक अरसा हो गया. पर फिर भी राजाओं के किस्से सुनने और सुनाने का मज़ा ही कुछ है. आज हम जिस राजा की बात कर रहे हैं वह तो भाई फलों के राजा हैं. नाम तो है आम, पर हैं बहुत ख़ास।
आप इस पोस्ट को यहाँ इस पॉडकास्ट एपिसोड में सुन सकते हैं। पेटपूजा डॉट कॉम पॉडकास्ट से मैं हूँ आप की होस्ट नीरजा भटनागर! स्वागत सभी सुनने वालों का।
आम की बातें हैं तो एक बात तो तय है कि बातें कुछ खट्टी और कुछ मिठ्ठी होंगे।
अल्फोंसो , दशहरी , केसर ,चौसा , सफेदा जिसे गुजरात में बादाम भी कहते हैं यह आमों की कुछ चुनिन्दा किस्मे हैं. इस के अलावा हमारे देश में अनगिनत किस्म के आम पाए जाते है.
Etymologically , Mango एक पुर्तगाली शब्द मँगा से originate हुआ है।
आम को स्टोन फ्रूट भी कहते हैं। इस की गुठली या सीड बहुत बड़ा होता है, इसलिए इसे स्टोन फ्रूट भी कहते हैं.
आप ने कभी आम की गुठली से पुपु बनाया है? मैंने बचपन में बहुत बनाया है. गुठली को मिटटी में दबाओ. जब उस में से कोपल फूट जाए तो उसे निकल कर, गुठली को एक कोने से घिस कर छोटा से छेद बना के, उस मैं से फूक मारो तो बड़ी बढ़िया आवाज़ निकलती थी. मज़े की बात यह कि हर गुठली के पूपु से अलग आवाज़ निकलती है।
हम सब बच्चे रात में अपने अपने घरो से इसी आवाज़ मैं गुफ्तगू करते थे समझ कुछ नहीं आता था, पर मस्ती बड़ी होती थी। अगर आप ने पहले नहीं बनाया तो इस साल try ज़रूर करिये।
इस के अलावा, आम की गुठली के चूर्ण का नियमित सेवन आपके शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है। आम की गिरी या गुठली के पाउडर का सेवन खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करता है और ब्लड शुगर के स्तर को भी कंट्रोल करता है।
आम ट्रॉपिकल क्लाइमेट में पैदा होता है। ऐसा माना जाता कि यह बांग्लादेश, मयंमार और उत्तर पूर्व भारत का निवासी था जो आज दुनिया भर में फैल गया है । दुनियाभर में इसकी हज़ारो किस्में हैं और यह किस्में कलम से बनाई जाती हैं। कलमी आम सुना होगा आपने भी।
आप को एक राज़ की बात बतायूँ ?
मुझे लगता है की आम ही भारत और पाकिस्तान की दूरियां मिटने में सहायक हो सकता है. अब देखिये न , एक आम ही है जो भारत और पाकिस्तान दोनों का राष्ट्रीय फल है। फिलीपीन्स का भी राष्ट्रीय फल आम ही है.
क्या आप जानते हैं कि राजा अशोक अपने साम्राज्य में सड़कों के किनारे फल और छाया देने वाले वृक्ष लगाया करते थे जिस से राहगीरों को छाया और पेट भरने के साधन नसीब हों. इन में आम और बरगद के पेड़ों का ख़ास वर्णन है। अगर आजकल की सरकारें ऐसा करें तो एक ही सीजन में सारे पेड़ तोड़ देंगे हमारे आम प्रेमी। याद करिये, जब नयी ट्रैन तेजस पहली बार रैलवे लाइन पर दौड़ी थी तो यात्रियों ने तोड़ फोड़ कर के ट्रैन का बुरा हाल कर दिया था. वक़्त के साथ हमें सभ्य होना चाहिए था पर हम असभ्य होते जा रहे हैं. खैर, हम बात से भटक रहे हैं वापस अपनी पैनी नज़र आम पर ही रखतें हैं। आमिर खुसरो न आम के बारे मैं लिखा था - नगजा तरीन मेवा ए हिन्दुस्तान । अल्लाउदीन खिलजी के दरबार में आम का खूब लुत्फ़ उठाया जाता था। बाबर ने भी अपने सफरनामे बाबरनामेह में आम की खूब प्रशंसा की है।
चौसा आम के बारे मैं तो आप ने सुना ही होगा. पर क्या आप इस का शेर शाह सूरी से रिश्ता जानते हैं? शेरशाह सूरी ने मुग़ल बादशाह हुमायूँ को हराने के बाद चौसा आम को लॉच किया था. ग्राफ्टिंग तकनीक से आमों की अनेक किस्में बनायीं जा रही हैं।
मुग़ल बादशाहों ने आम के बड़े बड़े बागान लगवाए. और मुग़ल cuisine में आम के desserts की शुरुआत हुई. यही तो है evolution ऑफ़ फ़ूड.
एक कहानी बचपन में सुनी थी. जब भारत देश से कोई दूत वापस सेंट्रल एशिया पहुंचा तो उस ने बाबर को बताया कि हिंदुस्तान मैं एक बहुत स्वादिष्ट फल होता है. नाम उसे याद नहीं था। उस ने चीनी की चाशनी मंगवाई और उस मैं अपनी दाढ़ी भिगो कर बादशाह को चूसने को कहा। ऐसा स्वाद होता है उस फल का। हालाँकि अगर आप पूरा सीन इमेजिन करो तो yuk फीलिंग होती है। अच्छा अब आप आम की गुठली चूसने पर फोकस करिये तो आप एक दम समझ पाएंगे कि दूत ने आम चूस के खाया होगा. सच में आम खाने का जो मज़ा चूसने में है वो काट के चमच से खाने में नहीं।
आम के पेड़ की पूजा संस्कृति में भी बड़ी महत्ता है। एल्लोरा caves की ३४ नंबर की गुफा में जैन धर्म की देवी अम्बिका को एक आम के पेड़ के नीचेआप आज भी देख सकते हैं. आम के बौर यानि फूल को देवी सरस्वती की पूजा अर्चना में चढ़ाया जाता है। और आम के पत्तों की बंदनवार तो हर शुभ कार्य में घर या पूजा स्थल के द्वार पर लगायी जाती है।
आम के मोटिफ भारतीय कढ़ाई परंपरा में खूब प्रयोग होती है। यह विशेष रूप से कश्मीरी शॉल्स, कांचीपुरम सिल्क साड़ी में भी काफी देखने को मिलती है।
बहुत सारी बातें की हम ने आम की। पर आम खाने और आम के व्यंजन की बातें हम ने अभी तक नही की। अगर मैं अपनी बात करूँ तो कच्चे आम का पन्ना तो पूरी गर्मी भर फ्रिज में हमेशा विराजमान रहते हैं. कच्चे आम का अचार , मीठी चटनी , मुर्रब्बा यह तो घर घर की कहानी है। और हम आमचूर को कैसे भूल सकते हैं? सब्ज़ी या दालों की असली किक तो चुटकी भर अमचूर से ही आती है। कच्चे आम की पतले पतले स्लाइसेस कर के सूखा दीजिये. आजकल तो गर्मी बेहद है, दो दिन की धुप में ही सूख जाएंगे. धुप काम हो तो माइक्रोवेव ओवन में सूखा के मिक्सी में पीसिये. एक दम adulteration फ्री अमचूर घर में ही तैयार. बनाइये और बताईये कैसा बना?
२००३ में गुजरात शिफ्ट होने के बाद पहली बार authentic गुजरती थाली में जब आमरस खाया तो मन ने कहा स्वर्ग यहीं है। क्या आनंदमय स्वाद था। आज भी जब याद करती हूँ तो मुंह में पानी आ जाता है। वैसे अब मैं गुजराती थाली की कोई खास फैन नहीं हूं पर अब आम के सीजन में गुजराती थाली मेरे लिए आम रस के स्वाद के लिए खाना ज़रूरी हो जाता है।
आम की लस्सी या मिल्कशेक से तो कोई अछूता है ही नहीं. अगर खाने मेंआप के मनपसंद सब्ज़ी नहीं है तो रोटी, परांठा या पूरी से आम खाइये, जन्नत के पकवान वाली फीलिंग आएगी। आम की smothies , mango क्रीम्स , या आइसक्रीम कुछ भी बना के खाइये। आम है तो सब ख़ास है।
चलिए अब बात करते हैं आम की नुट्रिशन की. एक कच्चे आम मैं 84 % पानी , १५% कार्बोहइड्रेट १% प्रोटीन और न के बराबर फैट होता है. पके आम के एक फल मैं विटामिन C और फोलेट मिलते हैं.
यह तो थी आम की आम बातें. और अब करते हैं कुछ mango diplomacy की बातें। मैंने तो कभी सपने में न सोचा था कि मेरा इतना प्रिये फल का प्रयोग राजनितिक उदेश्यों के लिए भी किया जा सकता है.
अभी पिछले साल ही बांग्ला देश की प्रधान मंत्री ने २६०० kg आम प्रधान मंत्री मोदी के साथ ममता बनर्जी और आसाम के CM को भी भेजे. जवाहर लाल नेहरू के समय मैं भी जो forgein dignitries आम के मौसम मैं आते थे उन्हें आम का तोहफा ज़रूर दिया जाता था. बहुधा आम की पौध भी दे दी जाती थी. की भाई उगाओ और एन्जॉय करो आम. और तो और,इन बाहर के डिप्लोमेट्स या politicians को जब आम गिफ्ट करे जाते थे तो जवाहर लाला नेहरु उन्हें खाने का भी डेमो दिया करते थे। उन में से बहुतो ने चूस के आम खाना सीखा. बहुतों ने काट के पर मज़ा सब को आया.
आम खाने का आप का कौनसा पसंदीदा तरीका है? चूस कर या काट कर। एक राज़ की बात बतायूँ? चूस के खाएंगे तो आम शेयर नहीं करना पड़ेगा।
तो ठीक है, आप आम का स्वाद लीजिये, मै भी चली आम खाने। मिलते हैं एक नए एपिसोड में, यूँ ही कुछ मज़ेदार चटपटी बातों के साथ। तब तक , अपना ख्याल रखिये, और स्वाद से सराबोर रहें। नमस्कार।
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